Wednesday, April 6, 2016

दोस्त तू सपने जगाना छोड़ दे

दोस्त तू सपने जगाना छोड़ दे
अन्जुमन मेरी तू आना छोड़ दे

फिर किसी बुस्ता बहाने के लिए
तू मेरी चिलमन में आना छोड़ दे

उन सभी गुस्ताख़ ख्यालों के लिये
अक्स मेरा तू सजाना छोड़ दे

खुशबुओं का एक सिला ये प्यार है
बाद से उजड़ा फ़साना छोड़ दे

आफ़ताबी ना मिले हसरत तुझे
रात तू महताब लाना छोड़ दे

कैस था दर पे पड़ा लैला समझ
इश्क़ तू अब शौक माना छोड़ दे

आ ज़रा आगोश में तू भींच ले
हाथ के नाखून चुभाना छोड़ दे

~ सूफी बेनाम

बाद - wind




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