Sunday, April 17, 2016

तुझ में तुझको ढूंढा मैंने

तुझ में तुझको ढूंढा मैंने
तू न मिली कोई और मिला
शक़्ल-औ-नाम जो याद था मुझको
वो तेरा नहीं किसी और का था

जीना बेहतर दिल भीतर है
ये मेरा नहीं दुनिया ने कहा
दिखते हमको तो बस साये हैं
तू मेरा जो था बीत गया

~ सूफी बेनाम


No comments:

Post a Comment

Please leave comments after you read my work. It helps.