सफर मतले वही दो-चार होंगे
ग़ज़ल में भी पुराने यार होंगे
झलक तेरी ज्यों खिलने लगेगी
हमें एक बार यूं दीदार होंगे
जहाँ थोड़ा शफ़क़ सूना लगेगा
वहाँ हम तुम मिसाले यार होंगे
नज़र जब फिर रुकेगी नज़र पर
बड़े ही जाँफ़िदा व्यापार होंगे
कहानी फिर ज़रा लिखना लबों से
न जाने कब कहीं दीदार होंगे
हमीं को भूलना होगा समय से
वरन रिश्ते सभी बाज़ार होंगे
उम्र मौसम समझ ने हैं बुलाये
जवानी में ग़ज़ब के खार होंगे
~ सूफी बेनाम
ग़ज़ल में भी पुराने यार होंगे
झलक तेरी ज्यों खिलने लगेगी
हमें एक बार यूं दीदार होंगे
जहाँ थोड़ा शफ़क़ सूना लगेगा
वहाँ हम तुम मिसाले यार होंगे
नज़र जब फिर रुकेगी नज़र पर
बड़े ही जाँफ़िदा व्यापार होंगे
कहानी फिर ज़रा लिखना लबों से
न जाने कब कहीं दीदार होंगे
हमीं को भूलना होगा समय से
वरन रिश्ते सभी बाज़ार होंगे
उम्र मौसम समझ ने हैं बुलाये
जवानी में ग़ज़ब के खार होंगे
~ सूफी बेनाम
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