जल चुकी है हकीक़त आग पानी है बहुत
बस रहा है ख्वाब में दिलबर कहानी है बहुत
दौड़ आना तुम कभी गर याद हम आने लगे
दूरियां-नज़दीकियां यूं जाफरानी है बहुत
दिखते बाज़ार में हो रोज़ मर्रा शाम को
रूबरू तुमसे नहीं, चाहत रवानी है बहुत
कुछ करीबी दोस्त मेरे रोक कर कहने लगे
यार उससे बात करले यारी पुरानी है बहुत
चाहे जितना भी बुझाले आस बढ़ती जा रही
मयकदा दुनिया बनी हमको चढ़ानी है बहुत
हम तरीका ढूंढ लेंगे तुम शराफत से कहो
हर जगह चलती नहीं ये पहलवानी है बहुत
दूध पीपल को चढ़ाते लोग हर शनिवार को
काट हर ईज़ा की कथा पुरानी है बहुत
रोक देंगे गर हमें तकलीफ तुम देने लगे
प्यार की भाषा न समझे नार फानी है बहुत
~ सूफी बेनाम
बस रहा है ख्वाब में दिलबर कहानी है बहुत
दौड़ आना तुम कभी गर याद हम आने लगे
दूरियां-नज़दीकियां यूं जाफरानी है बहुत
दिखते बाज़ार में हो रोज़ मर्रा शाम को
रूबरू तुमसे नहीं, चाहत रवानी है बहुत
कुछ करीबी दोस्त मेरे रोक कर कहने लगे
यार उससे बात करले यारी पुरानी है बहुत
चाहे जितना भी बुझाले आस बढ़ती जा रही
मयकदा दुनिया बनी हमको चढ़ानी है बहुत
हम तरीका ढूंढ लेंगे तुम शराफत से कहो
हर जगह चलती नहीं ये पहलवानी है बहुत
दूध पीपल को चढ़ाते लोग हर शनिवार को
काट हर ईज़ा की कथा पुरानी है बहुत
रोक देंगे गर हमें तकलीफ तुम देने लगे
प्यार की भाषा न समझे नार फानी है बहुत
~ सूफी बेनाम
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