किसी डाल पर चाहतें लड़खड़ाये
कहीं बाद हसरत नशेमन उड़ाये
दुपट्टा ज़रा तू संभलके उड़ाना
कहीं आरज़ू उलझ मेरी न जाये
कलीमा न पलकें न काजर के मिसरे
नफ़स जाम से ज़ुल्फ़ के मन्द साये
कफ़स का सलीके हमें क्या पता था
कि बाहों रही क्यों गुलिस्तां बसाये
न चिमटी न कंगन न बिंदिया न कुमकुम
अराईश इनकी तुमे भी सताये
न बेनाम रखना कभी याद मेरी
ग़ज़ल तिशनगी-दासतां गुनगुनाये
~ सूफ़ी बेनाम
कहीं बाद हसरत नशेमन उड़ाये
दुपट्टा ज़रा तू संभलके उड़ाना
कहीं आरज़ू उलझ मेरी न जाये
कलीमा न पलकें न काजर के मिसरे
नफ़स जाम से ज़ुल्फ़ के मन्द साये
कफ़स का सलीके हमें क्या पता था
कि बाहों रही क्यों गुलिस्तां बसाये
न चिमटी न कंगन न बिंदिया न कुमकुम
अराईश इनकी तुमे भी सताये
न बेनाम रखना कभी याद मेरी
ग़ज़ल तिशनगी-दासतां गुनगुनाये
~ सूफ़ी बेनाम
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