Wednesday, April 6, 2016

दिले नादान बहकाए गए है

दिले नादान बहकाए गए हैं
हसीं हरदम सितम ढाए गए हैं

जिगर को लूटना आदत जिने है
न रंगे हाथ पकड़ाए गए हैं

सफर एक दौर शरारत ज़िन्दगी का
किसी को आँख पथराए गए हैं

ज़रा दिन की हकीकत हम से पूछो
न जाने रात क्यों साए गए हैं

रहेगा हौसला नज़दीकियों का
करीबी आज भरमाए गए हैं

बहुत बे-पर इरादे आसमां के
सभी बेनाम दफनाए गए हैं

~ सूफ़ी बेनाम


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