रात का आसरा नहीं होता
वस्ल का कोई मकां नहीं होता
कुछ कदम हम सफर चले लेकिन
अब कभी वासता नहीं होता
हर जगह घर बना सका इनसां
मैकदा बारहा नहीं होता
तह तलक भीगना मुनासिब था
दर्द दो बूँद का नहीं होता
हर सुबह-शाम की पहेली का
किस्मतों को पता नहीं होता
राह बेनाम इबतिला लेकिन
दोस्त हर बाखुदा नहीं होता
~ सूफ़ी बेनाम
इबतिला - suffering/trial.
वस्ल का कोई मकां नहीं होता
कुछ कदम हम सफर चले लेकिन
अब कभी वासता नहीं होता
हर जगह घर बना सका इनसां
मैकदा बारहा नहीं होता
तह तलक भीगना मुनासिब था
दर्द दो बूँद का नहीं होता
हर सुबह-शाम की पहेली का
किस्मतों को पता नहीं होता
राह बेनाम इबतिला लेकिन
दोस्त हर बाखुदा नहीं होता
~ सूफ़ी बेनाम
इबतिला - suffering/trial.
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