Monday, February 15, 2016

आदमी आदमी पर फ़िदा हो गया

मिसरा:
इक मुलाक़ात में क्या से क्या हो गया

गिरह :
मौसमों की तरह बेवफ़ा हो गया
इक मुलाक़ात में क्या से क्या हो गया

मतला :
आज शहरों में ना जाने क्या हो गया
आदमी आदमी पर फ़िदा हो गया

हमने देखी थी आँखों में बेकसी कहीं
आदमी था और हम पर फ़िदा हो गया

सोचता था रास्ते का असर था कहीं
था पहियों पे चलता खुदा हो गया

जो ज़िंदा था फलक की हवाओं में कहीं
वो खुदा भी यहाँ बुतक़दा हो गया

आदमी था मरा आदमी के लिये
मर के ईसा यहाँ मुस्तफा हो गया

~ सूफ़ी बेनाम










बुतक़दा - temple of idols, मुस्तफा - God, फ़िदा - devotion, sacrifice.

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