Monday, February 29, 2016

सियासत जिस्त-ओ-जान

एक रुतबे से जस्ब किताबत करते हैं
हम तेरी हसरत को इज़ाफ़त करते हैं
अब रहती है सियासत जिस्त-ओ-जान
उस मोहब्बात को भी इबादत करते हैं
~ सूफी बेनम








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