चाँद से जलकर दिखी है मुफ़लिसी चारों तरफ़
रंग-ए-रूह बद-रंग से सब पुश्ताह सी चारों तरफ़
रात है परछाईयाँ बिछ जायेंगी हर दीप तल
सर्द शामें जल रही है आशिकी चारों तरफ़
तन रहा तन पर लदा उर्यानियत हर मोड़ पर
फिर पाकीज़ा फ़िक्र जगकर अली चारों तरफ़
तुम से छू कर जल रहा अफ़कार भी फानूस बन
स्याह बन मश्कों में भरती तीरगी चारों तरफ़
~ सूफ़ी बेनाम
परतव - reflection, ज़िल्ल - shadow, मुफ़लिसी - poverty, पुश्ताह - pile/heap, उर्यानियत - nudity, पाकीज़ा - chaste, फ़िक्र - thought/ counsel, अली - high/exalted, फानूस - lantern, अफ़कार - meditation, तीरगी - darkness, मश्क़ - letter or creative work
रंग-ए-रूह बद-रंग से सब पुश्ताह सी चारों तरफ़
रात है परछाईयाँ बिछ जायेंगी हर दीप तल
सर्द शामें जल रही है आशिकी चारों तरफ़
तन रहा तन पर लदा उर्यानियत हर मोड़ पर
फिर पाकीज़ा फ़िक्र जगकर अली चारों तरफ़
तुम से छू कर जल रहा अफ़कार भी फानूस बन
स्याह बन मश्कों में भरती तीरगी चारों तरफ़
~ सूफ़ी बेनाम
परतव - reflection, ज़िल्ल - shadow, मुफ़लिसी - poverty, पुश्ताह - pile/heap, उर्यानियत - nudity, पाकीज़ा - chaste, फ़िक्र - thought/ counsel, अली - high/exalted, फानूस - lantern, अफ़कार - meditation, तीरगी - darkness, मश्क़ - letter or creative work
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