गहराई में डूबना बेकार कर के आ गये
प्यार था दो सांस का व्यापार करके आ गये
कूप में मंडूक थे और मोहब्बात थी नयी
हम इबादत भी संग-ए-दार करके आ गये
मासियत में ना कभी मोती निराला खो जाये
इसलिये हम रिश्ता इसरार करके आ गये
है नहीं इज़हार ना इनकार अपनों की वफ़ा
ज़िन्दगी बेनामियत इक़रार करके आ गये
~ सूफी बेनाम
मासियत - sin , इसरार - conceal/preserve, इज़हार - disclosure/ demonstration , इक़रार - consent/ pledge .
प्यार था दो सांस का व्यापार करके आ गये
कूप में मंडूक थे और मोहब्बात थी नयी
हम इबादत भी संग-ए-दार करके आ गये
मासियत में ना कभी मोती निराला खो जाये
इसलिये हम रिश्ता इसरार करके आ गये
है नहीं इज़हार ना इनकार अपनों की वफ़ा
ज़िन्दगी बेनामियत इक़रार करके आ गये
~ सूफी बेनाम
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