मर्ज़ पाला है क्या चिलमनों के लिए
दोस्ती दुश्मनी आशिकों के लिए
क्या है फुर्सत नहीं गुज़रों के लिए
रहते हमराज़ हो आबिदों के लिए
आसमां शुक्र था आज की शाम भी
पर तू तनहा नहीं शोखियों के लिए
अब दफ़न दोस्ती दुश्मनी गम सभी
साँस औ ज़िन्दगी मनचलों के लिए
उस अब्र में बसी धूप थी छाँव थी
है ये कौसर नहीं मज़हबों के लिए
शोख जो फ़िर रहे कुछ नए के लिए
बंधते आगोश में मंज़िलों के लिए
ओंठ से छू दिया हमको शायर किया
तुम थे आशिक बने शायरों के लिए
तुम भी कह दोगे जब मिलोगे कभी
कि ये दोस्ती रहे दोस्तों के लिए
शुक्र था चाँद का रात को जग गया
अखतरों में छिपे रास्तों के लिए
चूमता रह गये तेरे हर लफ्ज़ को
तू मुसलमां बना आयतों के लिए
किस आगोश में सिमटा रह गया
रात बेनाम थी हौसलों के लिए
~ सूफी बेनाम
दोस्ती दुश्मनी आशिकों के लिए
क्या है फुर्सत नहीं गुज़रों के लिए
रहते हमराज़ हो आबिदों के लिए
आसमां शुक्र था आज की शाम भी
पर तू तनहा नहीं शोखियों के लिए
अब दफ़न दोस्ती दुश्मनी गम सभी
साँस औ ज़िन्दगी मनचलों के लिए
उस अब्र में बसी धूप थी छाँव थी
है ये कौसर नहीं मज़हबों के लिए
शोख जो फ़िर रहे कुछ नए के लिए
बंधते आगोश में मंज़िलों के लिए
ओंठ से छू दिया हमको शायर किया
तुम थे आशिक बने शायरों के लिए
तुम भी कह दोगे जब मिलोगे कभी
कि ये दोस्ती रहे दोस्तों के लिए
शुक्र था चाँद का रात को जग गया
अखतरों में छिपे रास्तों के लिए
चूमता रह गये तेरे हर लफ्ज़ को
तू मुसलमां बना आयतों के लिए
किस आगोश में सिमटा रह गया
रात बेनाम थी हौसलों के लिए
~ सूफी बेनाम
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