Sunday, February 21, 2016

आईना/ mirror

" आईना "


आईना नहीं अर्ज़-ख़ाक-औ-फलक
झलक कोई दिखाता नहीं कभी मेरी
हर पल बदलने वाली हस्ती रखता हूँ
जीवन हूँ अक्स पीछे-पीछे चलता है।

~ सूफी बेनाम


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