Wednesday, December 16, 2015

चाहतों को चाहतों से तुम बदलकर देखना


चाहतों को चाहतों से तुम बदलकर देखना
तुम ज़रा सीरत अपनी खुद बदलकर देखना

यूं अक्सर ही मिलेंगे तड़पते अहबाब कभी
तुम ज़रा खुदसे संभलकर उनके नश्तर देखना

चाहतों के पर नहीं पर सबा का रुख तो देख
खुद सवारना और आँचल सा बहककर देखना

फितरती इंसान मैं ज़िन्दगी कैनवास सी है
तुम बिखरना और अपने रंग उड़ेलकर देखना

हर नयी मुलाकात जब रिशते सी बनने लगे
तुम ज़रा नज़दीकियों को दूरकर कर देखना

हैं पैगाम देने आते बदली फ़िज़ा और तितलियाँ
तुम ज़रा तन्हाइयों से अपनी निकालकर देखना

कुछ मेरे से रिश्ता फिर बेनाम सौदा जीस्तगी
तुम ज़रा कुछ दूर और आगे निकालकर देखना

~ सूफी बेनाम

सीरत - quality/nature/disposition/character, अहबाब - lover/ friends, जीस्त  - life existence.






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