Saturday, September 14, 2013

बदलाव

ज़िन्दगी को एक बहाव
की ज़रुरत है
चाहे वो पसीने का हो
या फिर बहाव खून का
चाहे वो जिस्म से बहे
या जिस्म में बहे।

जब भी हमने रुकना चाहा
या ठहराव लाये
या किसी को चाहा
या किसी इकरार को ठहरे,
वहीँ या तो मेरी चाहत बदली
या हम ही बदल गये।

ज़िन्दा दिल ज़िन्दगी
ठहराव पसंद नहीं
यह सोचती नहीं की है ज़रूरी
दो पल को सुस्ताना,
सोचना, महसूस करना, अपनाना
रुकना या बस जाना।

उसको एक बहाव की
ज़रुरत है
कभी लहू
कभी नुफ्ता
कभी पसीना
बदलाव ज़रूरी है ज़िन्दगी को।

`~  सूफी बेनाम


नुफ्ता - passion fluids (sperms).

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