अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा
किसी बेपनाह बेबाप की सी
नज़र से दुनिया देखेंगे ,
और हर मोड़ पर तुम्हारा ज़िक्र
मेरे महबूब करेंगे
अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा
माना कि ज़िन्दगी ने कोई
इलज़ाम न दिया
पर न ही मज़हबे-ए -पाक दिया
और न हि जूनून - ए - फरहाद
हम तो बेबस ही रहे
सांसों के हॊने और
न हॊने के बीच।
अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा
हर किसी मोड़ पे
हम फिर मिलेंगे
रेत के अबार पर बेवजह
बिछी सबा की तरह
बेसब्र, बेवजूद बस
महज़ कुछ पल के लिए
शक्लें बदलती रहीं
पर कुछ भी अधूरा तो नहीं
अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा।
~ सूफी बेनाम
किसी बेपनाह बेबाप की सी
नज़र से दुनिया देखेंगे ,
और हर मोड़ पर तुम्हारा ज़िक्र
मेरे महबूब करेंगे
अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा
माना कि ज़िन्दगी ने कोई
इलज़ाम न दिया
पर न ही मज़हबे-ए -पाक दिया
और न हि जूनून - ए - फरहाद
हम तो बेबस ही रहे
सांसों के हॊने और
न हॊने के बीच।
अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा
हर किसी मोड़ पे
हम फिर मिलेंगे
रेत के अबार पर बेवजह
बिछी सबा की तरह
बेसब्र, बेवजूद बस
महज़ कुछ पल के लिए
शक्लें बदलती रहीं
पर कुछ भी अधूरा तो नहीं
अब तो यह वाकिया,
कुछ ऐसा ही रहेगा।
~ सूफी बेनाम
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