Thursday, August 29, 2013

नक्श


किसी बेलगाम ने उड़ते हुऐ,
उस बताल आसमान के करीब से,
एक बेदरेग नक्श बनाया है
इस असीम ज़मीन का।

यहाँ  हर तरफ दिशायें हैं,
मौसमों का ताना बाना है
और जिस्मानी दूरियों पे
मौका-परस्त समय बदलता है।

यहाँ लकीरों से ही
दीवारें, रास्ते और दरिया हैं
सुर्ख, सुरमई, फिरोज़ा, नीलमइ
सर-मस्त रंग-दावतें हैं यहाँ।

तुम्हारी गली को मैंने देखा
पर अजनबी निशान सा पाया
और वो खँडहर जहाँ हम मिलते थे
उनको पहचान न पाया।

किसी ने  ये नक्श सपनो सा बनाया है
वैसे ही जैसे हम अँगुलियों को फेर कर
रेत पे नाम लिखते घर बनाते रहे
और दुनिया को बच्चों की गेंद सा गोल समझते रहे।

~ सूफी बेनाम


बताल - mysterious lie, बेदरेग- haste and thoughtless.

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