Tuesday, November 3, 2015

दर्पण

हटो
ज़रा रास्ता दो,
आईने में
उतारना है मुझे।
पूछना है
अपने अक्स से,
की गर है बिम्ब मेरा
तो कुछ बोलता
क्यों नहीं है ?
मिलना है मुझे
मुझसे ?

~ सूफी बेनाम


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