Friday, October 31, 2014

शराब के रंग

बगैर समझे, शराब का माबदा
पीने का अंजाम गलत होता है
हर शराब का दोस्तों
नशा अलग-अलग होता है।

एक कुछ देर तक चलती है
एक छट चढ़ के उतर आती है
कोई सुरूर सा देती है
कोई महज़ बेक़रार छोड़ जाती है।

अब इतना जी चुका हूँ  कि
हर नशे की कहानी जानता हूँ।
किस फ़िज़ा में पैदा हुई- छनि
हर अंगूरी कहानी पहचानता हूँ।

फ़िक्र मुझको बस अब मेरी है
नशा महज़ बोतल में बंद
रंगून में मिलता नहीं
मेरे लिये।

~ सूफी बेनाम



माबदा - origin

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