Friday, October 31, 2014

आम ज़िन्दगी में कविता

सुबह की नींद को गर्म लिहाफ
अच्छा लगता है
दिन की खुश्क दौड़ में एक मुस्कराहट
अच्छी लगती है
शाम की हररश को बेख़्याल थका मन
अच्छा लगता है।

अकेले जूझते ख्याल का तजवीज़ बनना
अच्छा लगता है
शायर के अल्फाज़ो का इस्तिदा बनना
अच्छा लगता है
किसी पुकार का आज़ान में बदलना
अच्छा लगता है।

~ सूफी बेनाम




तजवीज़ - contemplation इस्तिदा - invocation; आज़ान - call

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