Thursday, April 25, 2013

योगी की माया


बहुत बेतुकी जीवन की है।
अदभुत सी है ये माया।
असमंजस में आज फंसा हूँ,
अनुरागी का भाव लिये।
योग वियोग से जीवन सजता
ब्रह्म-मलय सी है माया।
लोग मिले, संजोग सजे,
कलको, आज बिगड़ने को ?
आज नहीं जो कल था मेरा 
जो आज मिले संजोग सजे।

अनुरागी का जीवन सजता 
राग,  वैराग्य और द्वेष लिए।
आनंदित होने को व्याकुल,
अनुरागी की यह काया।
अनुरागी सा जीवन मेरा 
वितरागी उपदेश गहे ?
समय नहीं था इस को समझूं 
समय नहीं कुछ कान करूं।
संभव है कुछ कर गुज़ारूंगा 
संभव जग माया को समझूं।

पर एक तरफ था युग का साया 
और एक तरफ योगी की माया।

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