Saturday, January 21, 2017

देवता बरहमन ज़ात वाले सभी

वस्ल लब पे सजा बेखुदी के लिए
रात बेताब थी उस नमी के लिए

देवता बरहमन ज़ात वाले सभी
इश्क़ के अर्श में इक सदी के लिए

दिलशिकन आशना हमसुख़न रह गुज़र
प्यार कर ज़िन्दगी है इसी के लिए

तीरगी बेसुधी हुस्न आगोश हो
लाज़मी ये रहा सादगी के लिए

कमसिना दर्द देता है आवारगी
ख्वाब टूटा मगर रौशनी के लिए

मुद्दई आशिक़ी हुस्न के बुलबुले
कारवां बेखबर आदमी के लिए

ले शिकायत चलें हसरतें प्यार में
सूफ़ियत है नहीं नाज़नी के लिए

~ सूफ़ी बेनाम 




वज़्न - 212 212 212 212

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