Thursday, December 7, 2017

अनायास

लाइफ इस ब्यूटीफुल .......
ब्यूटी हमेशा ना-समझ होती है,
जैसे ज़िन्दगी,
जैसे वो और जैसे मेरे मन में
बसी तुम।
समझ और समझदारी ही घातक है
ज़िन्दगी में
जैसे वो, उसका प्यार और
तुम्हारा गम।
काश जीव-प्रक्रियाओं को
अनायास रहने देते
जैसे समय की ढ़लान पर चलती
साइकिल
जैसे साइकिल के हैंडल पे संकुचित
सी बैठी तुम
..... आसक्ति-जात-तत्क्षण से ग्रस्त मैं
और मेरा मन
.......
अपने पुरानेपन को दोहराता हूँ
बार-बार
जैसे सूर्योदय , जैसे काल-चक्र और
जैसे मौसम।
~ आनन्द


आसक्ति - fascination; तत्क्षण - spontaneous

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 11 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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