Saturday, June 27, 2015

शायर का मुक़ाम

क्या चाहती है ये
ज़िन्दगी मुझसे
क्यूँ कुछ चाहती है ये
ज़िन्दगी मुझसे ?

जो कभी अपने
वीराने के लिये जाना जाता था
वो सच, वो  समुन्दर,
आज तूफानों की पहचान बना है।
जो कभी अपनी
तन्हाइयों को टटोलता रह जाता था
वो बेलगाम लिखता है
डुबोता है, शायर कहलाता है।


~ सूफी बेनाम




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