Wednesday, February 18, 2015

कुछ दूर चले जाओ, ठहरो ना इस जगह...

कुछ दूर चले जाओ,
ठहरो ना इस जगह...

ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस जगह
वरना कोई आएगा
औ तुमको बदल देगा।
पलट के ना देखो उसे
बार-बार, जो गुज़र गया
वो लम्हा-ए-इंसा है
मौसम की तरह ना लौटेगा।


ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस तरह
वरना कोई आयेगा
औ तुम को कुचल देगा।
मेरे जूनून ने कई बार
संभाला मुझको
मेरे दोस्त, वो खैर-ख्वाह मेरे
बेदार - समझदार निकले।


ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस जगह
वरना कोई आएगा
औ तुमको बदल देगा।

~ सूफी बेनाम




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