वो किलकारी, खुशी की चीखता, हंस्ता हुआ बचपन
पहल थी मौसमों की, उस की गोदी सींचता बचपन
है सृष्टी माँ की ममतायी झलक में, आज भी कायम
कभी है सर्द का मौसम, कभी वो बूंद का बचपन
सभी को लग रहा बरसात है मौसम जवानी का
मगर हर बूंद से खिलवाड़ करता, खेलता बचपन
उमर की बदलियों में सूखने लग जाते हैँ, तन-मन
बहाना कागज़ी इक नाव, बह कर डूबता बचपन
ज़रा मिलने चले आओ, कभी तो मौसम-ए-सावन
कि तुम से भीग कर, संग सूखना है चाहता बचपन
फ़कत मिट्टी में तेरी बीज जो हमने भुलाये हैँ
उनें मकरंद से मोती करो या कोपला बचपन
कि तुम संग भीगने से है लिये ये, जिस्म सौंधापन
लिये कुछ बूंद के चिलमन, हुआ सागर, डुबा बचपन
- सूफी बेनाम
पहल थी मौसमों की, उस की गोदी सींचता बचपन
है सृष्टी माँ की ममतायी झलक में, आज भी कायम
कभी है सर्द का मौसम, कभी वो बूंद का बचपन
सभी को लग रहा बरसात है मौसम जवानी का
मगर हर बूंद से खिलवाड़ करता, खेलता बचपन
उमर की बदलियों में सूखने लग जाते हैँ, तन-मन
बहाना कागज़ी इक नाव, बह कर डूबता बचपन
ज़रा मिलने चले आओ, कभी तो मौसम-ए-सावन
कि तुम से भीग कर, संग सूखना है चाहता बचपन
फ़कत मिट्टी में तेरी बीज जो हमने भुलाये हैँ
उनें मकरंद से मोती करो या कोपला बचपन
कि तुम संग भीगने से है लिये ये, जिस्म सौंधापन
लिये कुछ बूंद के चिलमन, हुआ सागर, डुबा बचपन
- सूफी बेनाम
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