साथ सोते हैं असाध रातों तक
मेरे तोशक पर आहें भर्ती है
उससे संभालती नहीं है अंगड़ाई
हमको वो निढाल करती है
सीखना चाहता हूँ दुनिया से
तजुर्बेकार हमको लगती है
जिनको तरसती हैं मेरी आहें
अनुभव खुद में छिपा रखती है
कभी जब पढ़ता हूँ किताब को
तो किताब मुझको भी पढ़ती है।
पकड़ती है सिली-जिल्द से मुझे
फ़िर क्रमांकतार से पलटती है
आँख में कौंधते मात्रा और रेफ
भीतरी गूंज-सार तक बदलती है
बंद करता हूँ जब अधूरा उसको
पृष्ठ स्मृति पर हमेशा मिलती है
मैं नहीं चुनता इक्सीर अपनी
वो मेरी तक़दीर को समझती है
वो सृजन है किसी अपने का
क्यों नतीजे पे वो संभलती है
उतेजनाओं से मैं खण्डित हूँ
वो निश्चिन्त मेरी गिरफ़्त रहती है
नया सा रिश्ता ये मैने समझा
शायद वो भी ये समझती है
कभी जब पढ़ता हूँ किताब को
वो अपनेआप मुझको पढ़ती है
~ आनन्द
मेरे तोशक पर आहें भर्ती है
उससे संभालती नहीं है अंगड़ाई
हमको वो निढाल करती है
सीखना चाहता हूँ दुनिया से
तजुर्बेकार हमको लगती है
जिनको तरसती हैं मेरी आहें
अनुभव खुद में छिपा रखती है
कभी जब पढ़ता हूँ किताब को
तो किताब मुझको भी पढ़ती है।
पकड़ती है सिली-जिल्द से मुझे
फ़िर क्रमांकतार से पलटती है
आँख में कौंधते मात्रा और रेफ
भीतरी गूंज-सार तक बदलती है
बंद करता हूँ जब अधूरा उसको
पृष्ठ स्मृति पर हमेशा मिलती है
मैं नहीं चुनता इक्सीर अपनी
वो मेरी तक़दीर को समझती है
वो सृजन है किसी अपने का
क्यों नतीजे पे वो संभलती है
उतेजनाओं से मैं खण्डित हूँ
वो निश्चिन्त मेरी गिरफ़्त रहती है
नया सा रिश्ता ये मैने समझा
शायद वो भी ये समझती है
कभी जब पढ़ता हूँ किताब को
वो अपनेआप मुझको पढ़ती है
~ आनन्द
No comments:
Post a Comment
Please leave comments after you read my work. It helps.