Wednesday, July 5, 2017

वजह इस दरमियाँ जो इश्क़ है, आदाब मेरा है

महकती है जो तनहाई करार -ए -दिल की बाहों में
लिये चहरा किसी का हो, मगर असबाब मेरा है।

हज़ारों तन बदन मिलते हैं, लाखों बार बिछड़े भी
वजह इस दरमियाँ जो इश्क़ है, आदाब मेरा है।

बना करते हैं जब रिश्ते, गज़ब लाते हैं गहराई
मगर तुम सांस लेती हो जहाँ, पायाब मेरा है।

तुम्हारी शोखियाँ हर बार जो, बारिश में भीगी थीं
सुनो हर बूँद की, उस कैफ़ियत में, ताब मेरा है।

फक़त रानाइयो में संग तेरे जो भी था, वो हो
नसों में जो नशा बसता है, वो शादाब मेरा है।

बहुत अहमक़, अनाड़ी है, जो नामो-दम पे जीता है
हमेशा शाद है, बेनाम वो, बेताब मेरा है।

मतला :
फ़ना तक सूफ़ियत जो जी गया, अलक़ाब मेरा है
हज़ारों रात की आवारगी, महताब, मेरा है

अलक़ाब - title, असबाब - cause/ reason , आदाब - salutation/etiquette, पायाब - shallow, ताब - heat/power/lusture, शादाब - youth, शाद - cheerful













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