नाम अधूरा तेरा है पर
मेरी स्याही लिखती बहकर
कब थकता है रुकता है कब
जो जलता है अपने भीतर
अन्दर जब सोता फूटेगा
पीछे मत हटना घबराकर
सब कुछ फैला-फैला सा है
दिन जब बीत गया है थक कर
गर बादल फूट के बरसे तो
मुझमे घर करना चिपकाकर
गर दोस्त पुराना मिल जाये
बाहों को भरना फैलाकर
तुम आते हो मुझसे मिलने
मैं बिखरा हूँ मन के अन्दर
वक्त नहीं है पल्टा पीछे
क्या कर लोगे आगे जा कर
राधा की कनचन काया में
ज़िन्दा मीरा सी वो लुटकर
- सूफी बेनाम
मेरी स्याही लिखती बहकर
कब थकता है रुकता है कब
जो जलता है अपने भीतर
अन्दर जब सोता फूटेगा
पीछे मत हटना घबराकर
सब कुछ फैला-फैला सा है
दिन जब बीत गया है थक कर
गर बादल फूट के बरसे तो
मुझमे घर करना चिपकाकर
गर दोस्त पुराना मिल जाये
बाहों को भरना फैलाकर
तुम आते हो मुझसे मिलने
मैं बिखरा हूँ मन के अन्दर
वक्त नहीं है पल्टा पीछे
क्या कर लोगे आगे जा कर
राधा की कनचन काया में
ज़िन्दा मीरा सी वो लुटकर
- सूफी बेनाम
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