आइना बस अब तेरी खुशी है
तभी तो किस्मत पुकारती है
कभी कठिन है कभी है आसां
ग़ज़ल की फ़ितरत नयी नयी है
रहो न रह पाओ तुम कज़ा तक
हमें तलातुम सी तिश्नगी है
शबाब ज़ीनत करीब आओ
कि बाढ़ चढ़ती नदी मिली है
तुमारे सहलाब का मैं आशिक़
डुबा जो तुममे तो शायरी है
लबों पे ज्वारा बहक उठा क्यों
पुरानी आदत ये ज़िन्दगी है
~ सूफ़ी बेनाम
तभी तो किस्मत पुकारती है
कभी कठिन है कभी है आसां
ग़ज़ल की फ़ितरत नयी नयी है
रहो न रह पाओ तुम कज़ा तक
हमें तलातुम सी तिश्नगी है
शबाब ज़ीनत करीब आओ
कि बाढ़ चढ़ती नदी मिली है
तुमारे सहलाब का मैं आशिक़
डुबा जो तुममे तो शायरी है
लबों पे ज्वारा बहक उठा क्यों
पुरानी आदत ये ज़िन्दगी है
~ सूफ़ी बेनाम
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