खालीपन पे चोट करें तो
दर्द की वीणा बजती है
खली बर्तन में भी सजते
संगीत की बेला बसती है
अपने अपने खालीपन को
कुछ तो लय में बेहने दो
कर्मों की बही साधने
कलाकार की लाठी बजती है
निःस्तभता में किसी की
अधूरेपन की कविता है
आधे प्यालों की कोरों पे
एक पीर की गूँज बसती है
सुनने वालों सुन के देखो
हम भी रहते खाली हैं
धरती के जल तरंग में देखो
नदी नाले दरिया प्याली हैं
~ सूफी बेनाम
दर्द की वीणा बजती है
खली बर्तन में भी सजते
संगीत की बेला बसती है
अपने अपने खालीपन को
कुछ तो लय में बेहने दो
कर्मों की बही साधने
कलाकार की लाठी बजती है
निःस्तभता में किसी की
अधूरेपन की कविता है
आधे प्यालों की कोरों पे
एक पीर की गूँज बसती है
सुनने वालों सुन के देखो
हम भी रहते खाली हैं
धरती के जल तरंग में देखो
नदी नाले दरिया प्याली हैं
~ सूफी बेनाम
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