Wednesday, December 9, 2015

सर्द रातें

लिपट अपने सायों से चादर सोते हैं कलन्दर सभी
सपनों की खासियत सर्द में बेताब  हैं बेघर सभी

कैफियत हवस इंसान की रही है सलाहियत तभी
जब तलक उम्मीद से आसरे हों कोई बेहतर तभी

स्वप्न या कोरी हकीक़त ये पहचान पाते हैं तभी
उठ खुद जब महसूस करते हैं सांसें औ चादर सभी

ये सियासत दिन की थी या रातों की मासूमियत
अपनी पहचान को हैं साहिल कभी समुन्दर सभी

सूफियत में महफूज़ हैं दीन उम्मीद उजाले सभी
बेनाम तम की ताबीर में रह जाते मुक़द्दर सभी

~ सूफी बेनाम



कैफियत - engrossment, सलाहियत - ability, कलन्दर - sufi . दीन - faith, ताबीर - interpretation.

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