खैरियत बंदिशों में है तब तक
बह्र तूफ़ां जगा रही जब तक
आसरे जो रहा हवाओं के
वो सफीना नहीं मिला अब तक
दरमियां आप भी पहेली भी
नज़र तूफ़ां से जा मिली तब तक
डूबना इश्क़ में बेमानी था
मिल रही चाह गर हो मतलब तक
टूटने लग गये सभी अपने
आरज़ू हो गयी नफ़ी लब तक
मौत दो चार की हुई जिनको
घर नहीं शहर दे सका अब तक
छूट कर ज़ुल्फ़ से गिरा वरदा
आज तो खैरियत रहे शब तक।
or
छूट कर ज़ुल्फ़ से गिरा वरदा
आब -ओ -गिल अमन रहे शब तक।
~ सूफ़ी बेनाम
2122 1212 22 / 112
वरदा - red rose, बह्र - meter in poetry /ocean, सफीना - boat, नफ़ी - forbidden, denial, आब -ओ -गिल - water and earth - elements of nature

बह्र तूफ़ां जगा रही जब तक
आसरे जो रहा हवाओं के
वो सफीना नहीं मिला अब तक
दरमियां आप भी पहेली भी
नज़र तूफ़ां से जा मिली तब तक
डूबना इश्क़ में बेमानी था
मिल रही चाह गर हो मतलब तक
टूटने लग गये सभी अपने
आरज़ू हो गयी नफ़ी लब तक
मौत दो चार की हुई जिनको
घर नहीं शहर दे सका अब तक
छूट कर ज़ुल्फ़ से गिरा वरदा
आज तो खैरियत रहे शब तक।
or
छूट कर ज़ुल्फ़ से गिरा वरदा
आब -ओ -गिल अमन रहे शब तक।
~ सूफ़ी बेनाम
2122 1212 22 / 112
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