Thursday, October 13, 2016

कागज़ की कश्ती

अस्ल जब सहलाबों से
महासागरों की
गहराई बताता है
तब
बेड़ा जहाज़ बन जाता है
पर
इस विकार से
वो छोटी नदियों, नहरों, नालों
में बह नहीं पता है
कागज़ की कश्तियाँ
हर नज़रिये से बेहतर हैं
नदी के मुहाने से
उल्टा बहकर
बर्फीली पहाड़ियों तक
पहुँचने के लिये
दशा का अस्ल जानना
ज़रूरी है ।

~ सूफ़ी बेनाम


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