किस्से का कहानी तक आना हुआ
अल्फ़ाज़ों में एक शहर बसाना हुआ।
कोई नया बहाना दे ऐ ज़िन्दगी
मोहब्बात का मतला पुराना हुआ।
बुलबुला जो सफर-ए-दीवानगी था
कागज़ पे सूख के शिनासा हुआ।
मात्राओं की गिरफ़्त में एक किस्सा
ग़ज़ल तक पहुँचते अंजना हुआ।
सूद-ओ-ज़ियाँ का बचा कोई हिसाब
या डायरी का रद्दी में जल जाना हुआ।
हमने मिन्नतें अल्फ़ाज़ों से की बहुत
ढूंढ़ना उन्ही रास्तों को बेईमाना हुआ
सूद मिसरों में बंधी एक ग़ज़ल मिली
असल को गुज़िश्ता-ए-यार भूलना हुआ।
~ सूफी बेनाम
अल्फ़ाज़ों में एक शहर बसाना हुआ।
कोई नया बहाना दे ऐ ज़िन्दगी
मोहब्बात का मतला पुराना हुआ।
बुलबुला जो सफर-ए-दीवानगी था
कागज़ पे सूख के शिनासा हुआ।
मात्राओं की गिरफ़्त में एक किस्सा
ग़ज़ल तक पहुँचते अंजना हुआ।
सूद-ओ-ज़ियाँ का बचा कोई हिसाब
या डायरी का रद्दी में जल जाना हुआ।
हमने मिन्नतें अल्फ़ाज़ों से की बहुत
ढूंढ़ना उन्ही रास्तों को बेईमाना हुआ
सूद मिसरों में बंधी एक ग़ज़ल मिली
असल को गुज़िश्ता-ए-यार भूलना हुआ।
~ सूफी बेनाम
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