मेरे अन्तर्मन की निस्तब्धता
बाहरी व्याकुलता के नंगेपन को
अपने मखमली एहसास से
इस तरह ढक जाती है
जैसे खुले ज़ख्म पे भिनकती मखियों से
किसी लोबान्त का उपचार लगाती हैं।
मुसलसल कर्म की बही में लिखी संवेदनायें
आभासों को निस्तब्धता के
उस पार से, धरणी दबी आर सी सी की
राफ्ट फाउंडेशन के भीतर निहित
सत्य की सरिया को टोर से मज़बूत बनाकर
हर होनी हर घटना कर्म को पूर्वनिहित बनाती हैं।
प्रज्ज्वला मस्तिष्क के ठीक भीतर
एक स्थल से प्रफुल्लित हो कर
रीड़ की हड्डियों की इडा-पिंगला को झंकृत कर
सूक्ष्म अणु-निहित चेतनाओं को करके उजागर
कुछ नए दर्पणों को खोलती माया बस
मन-बदन-चेतन-चैतन्य के पात्र बदलती है।
~ सूफ़ी बेनाम
बाहरी व्याकुलता के नंगेपन को
अपने मखमली एहसास से
इस तरह ढक जाती है
जैसे खुले ज़ख्म पे भिनकती मखियों से
किसी लोबान्त का उपचार लगाती हैं।
मुसलसल कर्म की बही में लिखी संवेदनायें
आभासों को निस्तब्धता के
उस पार से, धरणी दबी आर सी सी की
राफ्ट फाउंडेशन के भीतर निहित
सत्य की सरिया को टोर से मज़बूत बनाकर
हर होनी हर घटना कर्म को पूर्वनिहित बनाती हैं।
प्रज्ज्वला मस्तिष्क के ठीक भीतर
एक स्थल से प्रफुल्लित हो कर
रीड़ की हड्डियों की इडा-पिंगला को झंकृत कर
सूक्ष्म अणु-निहित चेतनाओं को करके उजागर
कुछ नए दर्पणों को खोलती माया बस
मन-बदन-चेतन-चैतन्य के पात्र बदलती है।
~ सूफ़ी बेनाम
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