अंदर का खाली पन आतिशी सेहलाबों में
लिख-लिख के खाली है सूफी ख्यालों में
कहाँ गये अफ़साने जो कल गाके सुनाये
अब किसको लिखजायें रफ़्ता तरानों में
रह गया अब क्या है सब बह गया मसी से
पुरानी कोहलपुरी के साथ चलते सवालों में
आज जगा हूँ तो दिन क्यों बतलाता नहीं
कौन सा कुनबा है मेरा इन हिस्से दरों में
क्यों चलें कदम मेरे तेरी बेनामी के साथ
कौन है अपना और पराया कौन रिश्तेदारों में
ले आना गप-शप उस शाम के सेहरा से
साहिल पे जो डूबा और सांसें सवालों में
~ सूफी बेनाम
लिख-लिख के खाली है सूफी ख्यालों में
कहाँ गये अफ़साने जो कल गाके सुनाये
अब किसको लिखजायें रफ़्ता तरानों में
रह गया अब क्या है सब बह गया मसी से
पुरानी कोहलपुरी के साथ चलते सवालों में
आज जगा हूँ तो दिन क्यों बतलाता नहीं
कौन सा कुनबा है मेरा इन हिस्से दरों में
क्यों चलें कदम मेरे तेरी बेनामी के साथ
कौन है अपना और पराया कौन रिश्तेदारों में
ले आना गप-शप उस शाम के सेहरा से
साहिल पे जो डूबा और सांसें सवालों में
~ सूफी बेनाम
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