कोई यूं गुनगुनाता है शामों को शायरी
ज़िंदा रखेगी मुझको मेरे बाद शायरी
हर शेर को गिरह तक छू कर देखा
उसे और भी छुएगी मेरे बाद शायरी
ज़िंदा है स्याह कागज़ जानता हूँ मैं
दहकायेगी मेरा रम्ज़ मेरे बाद शायरी
इतने दीवाने फिर भी सरगोशियों से दिन
शाम लबों से छलकेगी मेरे बाद शायरी
सांसों की भसक नब्ज़ सधी रही है रोज़
दीवानों की रक्तिम रहे मेरे बाद शायरी
उम्मीद तो यही थी किसी दर्द को कहे
लगता है होगी हमदर्द मेरे बाद शायरी
लम्हा नहीं अरसों है ज़िन्दगी के साथ
किसी हो के जियेगी मेरे बाद शायरी
अब तक जिसे ग़ज़ल में बांधता रहा
गीत बन खिल उठेगी मेरे बाद शायरी
अल्फ़ाज़ों की गिरह में गर तू भी बहेगा
तुझो डुबो चलेगी मेरे बाद शायरी
~ सूफी बेनाम
ज़िंदा रखेगी मुझको मेरे बाद शायरी
हर शेर को गिरह तक छू कर देखा
उसे और भी छुएगी मेरे बाद शायरी
ज़िंदा है स्याह कागज़ जानता हूँ मैं
दहकायेगी मेरा रम्ज़ मेरे बाद शायरी
इतने दीवाने फिर भी सरगोशियों से दिन
शाम लबों से छलकेगी मेरे बाद शायरी
सांसों की भसक नब्ज़ सधी रही है रोज़
दीवानों की रक्तिम रहे मेरे बाद शायरी
उम्मीद तो यही थी किसी दर्द को कहे
लगता है होगी हमदर्द मेरे बाद शायरी
लम्हा नहीं अरसों है ज़िन्दगी के साथ
किसी हो के जियेगी मेरे बाद शायरी
अब तक जिसे ग़ज़ल में बांधता रहा
गीत बन खिल उठेगी मेरे बाद शायरी
अल्फ़ाज़ों की गिरह में गर तू भी बहेगा
तुझो डुबो चलेगी मेरे बाद शायरी
~ सूफी बेनाम
No comments:
Post a Comment
Please leave comments after you read my work. It helps.