मय के प्यालों की
बंद अलमारी के से
तलफ्फुज़ का सा
बदमस्त हसीन चेहरा।
तुम्हारे होंठ बड़े भी थे
कुछ कहने को
पर कान के बूंदों से
छनकती आवाज़
की ना मंज़ूरी पे रुके
झिझके और बिखर कर
मुस्कुरा दिए।
आँखों की तरकश में
जहाँ तने रहते थे
तीर काजल के
वहाँ पुतलियों की
कमानियां हताश किसी
ख्याल में खोयी हुई हैं।
उम्मीद है ये
मुस्कराहट बनी रहे
न सही मेरी आँखों को;
किसी के होठों को
तस्सली तो है।
~ सूफी बेनाम
तलफ्फुज़ - expression ;बदमस्त - intoxicated
बंद अलमारी के से
तलफ्फुज़ का सा
बदमस्त हसीन चेहरा।
तुम्हारे होंठ बड़े भी थे
कुछ कहने को
पर कान के बूंदों से
छनकती आवाज़
की ना मंज़ूरी पे रुके
झिझके और बिखर कर
मुस्कुरा दिए।
आँखों की तरकश में
जहाँ तने रहते थे
तीर काजल के
वहाँ पुतलियों की
कमानियां हताश किसी
ख्याल में खोयी हुई हैं।
उम्मीद है ये
मुस्कराहट बनी रहे
न सही मेरी आँखों को;
किसी के होठों को
तस्सली तो है।
~ सूफी बेनाम
तलफ्फुज़ - expression ;बदमस्त - intoxicated

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