अब तो भीग चुके
बरसात को
बादलों के गरजने
के पहले।
अजब एक इकरार को
ज़िन्दगी आगे बड़ी
जहाँ सब कुछ थमा-थमा
था पहले।
कुछ मुनासिब ना सही
एक नज़्म तो हो
और नये रास्ते समझ आने
के पहले।
~ सूफी बेनाम
बरसात को
बादलों के गरजने
के पहले।
जाने क्या छूटता
सा पीछे रहा
एक रोज़ जो आसमा
था पहले।
ज़िन्दगी आगे बड़ी
जहाँ सब कुछ थमा-थमा
था पहले।
मेरे दिल के निशां
महसूस तो कर
ज़िन्दगी में तर्जुमा आने
के पहले।
कुछ मुनासिब ना सही
एक नज़्म तो हो
और नये रास्ते समझ आने
के पहले।
~ सूफी बेनाम
No comments:
Post a Comment
Please leave comments after you read my work. It helps.