मेरे दिल में लगे जालों को चाहते हैं कोई अपनी अँगुलियों से साफ़ कर दे। फिर फूँक मारकर गुज़री आँधी की मिट्टी की परत को उड़ा दे। नीचे से अगर उसको कोई निशान दिखाई पड़े सुर्ख-लाल सा तो उसे दिल न समझे, ज्वालामुखी का लावा ही समझे।
~ आनन्द
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