वज़्न 2122--1212—22 / (112)
अर्कान-- फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
काफ़िया— आ
रदीफ़ --- देना
ज़िन्दगी की हमें दुआ देना
हो सकेगा हमें भुला देना ?
आस टूटी नहीं कभी तुम से
मत करीबी का मरहला देना
ढूंढ कर रोज़ की ख़ुशी हम में
प्यार को प्यार की सज़ा देना
जिस्म है प्यास से लदी रिक़्क़त
खुरदुरापन मेरा मिटा देना
नाज़ से तिशनयी बदन पर लब
रात का सिलसिला बना देना
जब भी मिलना हमें तो नौ बनकर
ज़िन्दगी शौक से अदा देना।
~ सूफ़ी बेनाम
अर्कान-- फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
काफ़िया— आ
रदीफ़ --- देना
ज़िन्दगी की हमें दुआ देना
हो सकेगा हमें भुला देना ?
आस टूटी नहीं कभी तुम से
मत करीबी का मरहला देना
ढूंढ कर रोज़ की ख़ुशी हम में
प्यार को प्यार की सज़ा देना
जिस्म है प्यास से लदी रिक़्क़त
खुरदुरापन मेरा मिटा देना
नाज़ से तिशनयी बदन पर लब
रात का सिलसिला बना देना
जब भी मिलना हमें तो नौ बनकर
ज़िन्दगी शौक से अदा देना।
~ सूफ़ी बेनाम
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