Thursday, September 21, 2017

पूज दो पत्थर खुदा हो जाएगा

२१२२-२१२२-२१२

हम को तो उस दिन नशा हो जाएगा
मन दुपट्टा आपका हो जाएगा

मन हमारा आप से भर पाए तो
इश्क़ हमको दूसरा हो जाएगा

गंदलापन है हमारी चाह में
तू भी इक दिन सरफिरा हो जाएगा

इश्क़ भी इंसान का अनुमान है
चाहतों में फैसला हो जाएगा

क्यों भटकना रोज़ कू-ए-यार में
दर्द भी जब फ़ायदा हो जाएगा

हैं हज़ारों रूप उसके बरहमन
पूज दो पत्थर खुदा हो जाएगा

चाहत -ए -मन छटपटाना रोज़ का
उम्र ढल कर कायदा हो जाएगा

हाथ थामे चल रही हो नाज़नी
सोच लो अब सिलसिला हो जाएगा

गर झुकी पलकें जो तेरी प्यार में
दिल मेरा फिर से खुदा हो जाएगा

और सजदे में रहेगा आदमी
इश्क़ का जब तज़रबा हो जाएगा


~ सूफ़ी बेनाम

No comments:

Post a Comment

Please leave comments after you read my work. It helps.