Friday, August 25, 2017
तीज २०१७
ज़माने भर की रौनक ले के दिल मे जग चुके सपने
सुनो अब तीज पे उनका कोई पैगाम आ जाये
बहुत खुशबू रही इस प्यार मे औ चाह है हद तक
इसी ताबीज़ से हर दर्द को आराम आ जाये
कभी ऐसा भी मौका हो कि हम तुम पास आ पायें
तुमारे लब बिखेरे दिल्लगी औ शाम आ जाये
~ सूफ़ी बेनाम
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