ये कहानी ख़त्म
एक सफर में हो जायेगी
इसलिये बेचैन हूँ मैं
पहुंचना मुनासिब नहीं
किसी के लिये
इसलिये अधीर हूँ मैं
तुम भी गुज़र जाओगे
कुछ देर रुक कर के
इसलिये बेकरार हूँ मैं
समय बदलेगा नहीं
उसूल बदगुमानी में
इसलिये दोस्त हूँ मैं।
~ सूफी
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