तुम को' जाना था' अगर हाथ मिला कर जाते
अपनी क़ायनात का मन्सूर* बता कर जाते।
मैं कोई साया नहीं कि खिंचा आता तुमसे
ज़िन्दगी का थोड़ा रूमान निभा कर जाते।
अजनबियों की तरह मिलने से दूरियां बेहतर
पर अपनी इबादत का मक़सूद बता कर जाते।
ज़िन्दगी को ज़रुरत नहीं किसी हिस्सेदार की
तुम जाते तो गुज़िश्ता का बटवारा कर जाते।
कोई खुदा मिला नहीं दास्ताँ-ए-मोहब्बात को
एक सबक़ आखरी इंसानियत का समझ कर जाते।
है दस्त-ए-शिफ़ा हर बदलाव में ज़िंदा इंसान
जाते तो हर तज़-ए-लम्स सूली चढ़ा कर जाते।
~ सूफी बेनाम
मन्सूर - Sufi Saint who believed he was GOD , रूमान - romance
अपनी क़ायनात का मन्सूर* बता कर जाते।
मैं कोई साया नहीं कि खिंचा आता तुमसे
ज़िन्दगी का थोड़ा रूमान निभा कर जाते।
अजनबियों की तरह मिलने से दूरियां बेहतर
पर अपनी इबादत का मक़सूद बता कर जाते।
ज़िन्दगी को ज़रुरत नहीं किसी हिस्सेदार की
तुम जाते तो गुज़िश्ता का बटवारा कर जाते।
कोई खुदा मिला नहीं दास्ताँ-ए-मोहब्बात को
एक सबक़ आखरी इंसानियत का समझ कर जाते।
है दस्त-ए-शिफ़ा हर बदलाव में ज़िंदा इंसान
जाते तो हर तज़-ए-लम्स सूली चढ़ा कर जाते।
~ सूफी बेनाम
मन्सूर - Sufi Saint who believed he was GOD , रूमान - romance
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