कुछ दूर चले जाओ,
ठहरो ना इस जगह...
ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस जगह
वरना कोई आएगा
औ तुमको बदल देगा।
पलट के ना देखो उसे
बार-बार, जो गुज़र गया
वो लम्हा-ए-इंसा है
मौसम की तरह ना लौटेगा।
ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस तरह
वरना कोई आयेगा
औ तुम को कुचल देगा।
मेरे जूनून ने कई बार
संभाला मुझको
मेरे दोस्त, वो खैर-ख्वाह मेरे
बेदार - समझदार निकले।
ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस जगह
वरना कोई आएगा
औ तुमको बदल देगा।
~ सूफी बेनाम
ठहरो ना इस जगह...
ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस जगह
वरना कोई आएगा
औ तुमको बदल देगा।
पलट के ना देखो उसे
बार-बार, जो गुज़र गया
वो लम्हा-ए-इंसा है
मौसम की तरह ना लौटेगा।
ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस तरह
वरना कोई आयेगा
औ तुम को कुचल देगा।
मेरे जूनून ने कई बार
संभाला मुझको
मेरे दोस्त, वो खैर-ख्वाह मेरे
बेदार - समझदार निकले।
ज़रा बदल जाओ
ठहरो ना इस जगह
वरना कोई आएगा
औ तुमको बदल देगा।
~ सूफी बेनाम
No comments:
Post a Comment
Please leave comments after you read my work. It helps.