वज़्न - 21222122212
अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
बह्र - बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
काफ़िया - आ ( स्वर )
रदीफ़ - हो गया
अर्श का एक अश्क़ दरिया हो गया
सीप में हर बूँद गहना हो गया
फिर ज़रा साये को छूकर देखिये
किस कदर अब ये अकेला हो गया
दोस्त है मुफ़लिस अकेलापन मगर
ज़िन्दगी अब खुद बहाना हो गया
भूल वो बहरों में करता पर फ़क़त
अस्ल में शायर मुसलमा हो गया
कोशिशें ग़ज़लों में करते ही रहे
हुस्न से तस्लीम वादा हो गया
ज़िक्र अब बेनाम रहने दीजिये
नाम का किस्सा लतीफा हो गया
~ सूफ़ी बेनाम
अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
बह्र - बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
काफ़िया - आ ( स्वर )
रदीफ़ - हो गया
अर्श का एक अश्क़ दरिया हो गया
सीप में हर बूँद गहना हो गया
फिर ज़रा साये को छूकर देखिये
किस कदर अब ये अकेला हो गया
दोस्त है मुफ़लिस अकेलापन मगर
ज़िन्दगी अब खुद बहाना हो गया
भूल वो बहरों में करता पर फ़क़त
अस्ल में शायर मुसलमा हो गया
कोशिशें ग़ज़लों में करते ही रहे
हुस्न से तस्लीम वादा हो गया
ज़िक्र अब बेनाम रहने दीजिये
नाम का किस्सा लतीफा हो गया
~ सूफ़ी बेनाम
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