हर शहर में
एक पत्थरों का बाज़ार होता है
यहाँ रंग बिरंगी चकलियों को
तराशा जाता है
इनमे नाम गोदे जाते हैं उनके
जिनको अब कुछ इत्मिनान है
इंसानी रिश्तों कि विरासत से।
पत्थर की नाम गुदी चकलियों को
उस ज़मीं पे सजाया जाता है
जहाँ वो अपने अधूरेपन की आवाज़
फ़िज़ा तक पहुँचाने को चुप चाप दर्ज हैं
एक पैगाम में बिखरकर।
इत्तेफ़ाकन सारी यादें और उम्मीदें
पत्थरों पे ही उभर के आती हैं
उम्मीद है तुम भी अपना अधूरा रिश्ता
एक पत्थर गुदे नाम की ओट ले कर
जी सकोगे एक चिराग दान बनकर।
~ सूफी बेनाम
एक पत्थरों का बाज़ार होता है
यहाँ रंग बिरंगी चकलियों को
तराशा जाता है
इनमे नाम गोदे जाते हैं उनके
जिनको अब कुछ इत्मिनान है
इंसानी रिश्तों कि विरासत से।
पत्थर की नाम गुदी चकलियों को
उस ज़मीं पे सजाया जाता है
जहाँ वो अपने अधूरेपन की आवाज़
फ़िज़ा तक पहुँचाने को चुप चाप दर्ज हैं
एक पैगाम में बिखरकर।
इत्तेफ़ाकन सारी यादें और उम्मीदें
पत्थरों पे ही उभर के आती हैं
उम्मीद है तुम भी अपना अधूरा रिश्ता
एक पत्थर गुदे नाम की ओट ले कर
जी सकोगे एक चिराग दान बनकर।
~ सूफी बेनाम
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