एक तनहा सी
साँस पर
जहाँ मै
तड़प रहा था
उस दो पल की
महोब्बत को-
उस बेसुधी में
दर्द अपना
मुक़द्दर लेकर
मेरे पास आया
कांपता झिझकता
खुद को संभालता
और कहता था...
चाहत की
तड़प से बना था
अंश मेरा
अब महोब्बत की
ज़ीन पे जिंदा हूँ।
क्यूं रहा बेखबर
अपने जिंस से
कैसी रंज सीने में
कि मुझे खुद से
बिखेरता रहा
मेरा ख़ालिक,
और हर बार
लौट के आता
मुझे मिटने को।
~ सूफी बेनाम
ख़ालिक - one who gives birth ( महोब्बत in this case); ज़ीन - saddle; जिंस - of ones kind; काज़ा - fate
साँस पर
जहाँ मै
तड़प रहा था
उस दो पल की
महोब्बत को-
उस बेसुधी में
दर्द अपना
मुक़द्दर लेकर
मेरे पास आया
कांपता झिझकता
खुद को संभालता
और कहता था...
चाहत की
तड़प से बना था
अंश मेरा
अब महोब्बत की
ज़ीन पे जिंदा हूँ।
क्यूं रहा बेखबर
अपने जिंस से
कैसी रंज सीने में
कि मुझे खुद से
बिखेरता रहा
मेरा ख़ालिक,
और हर बार
लौट के आता
मुझे मिटने को।
~ सूफी बेनाम
ख़ालिक - one who gives birth ( महोब्बत in this case); ज़ीन - saddle; जिंस - of ones kind; काज़ा - fate
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